रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
श्री सीताजी का चरित्र विशाल है, जो इंद्रियों से भी अनुभूत नहीं हो सकती। इनके बारे में देव कहतें हैं हम वर्णन कैसे करेंगे। मां सीता जी का पात्र इतना वृहद है जो बुद्धि, विचार सभी से परे हैं। मां सीताजी का चरित्र सुनने भर से व्यक्ति की मति सुधरेगी जिससे उसकी गति सुधरेगी।
उक्त उद्बोधन परम पूज्य आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाई जी ने श्री तुलसी परिवार द्वारा आयोजित सात दिवसीय जगज्जननी आदिशक्ति स्वरूपा श्री सीताजी चरित्र पर मंगल प्रवचन के प्रथम दिन कही। कथा शुभारंभ के पहले माणक चौक स्थित बड़ा गोपाल जी मंदिर से आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाई जी के सानिध्य में शोभा यात्रा निकाली गई। मुख्य रूप से मनोहर पोरवाल, मयंक जाट एवं महेश व्यास मौजूद रहे। बेंड की धुन पर मधुर भजनों के साथ महिलाएं पीली व लाल चुनरी में सिर पर मंगल कलश धारण कर नृत्य करते हुए चल रही थी। मुख्य यजमान सिर पोथी लेकर चल रहे थे। बग्गी में आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाई जी सवार थे।
शोभा यात्रा का सनातन सोशल ग्रुप, अम्बर परिवार, पुड़ीवाला बासाब माणक चौक, पोरवाल समाज, श्री मेहंदी कुई बालाजी मंदिर न्यास ट्रस्ट, शहर महिला कांग्रेस आदि सामाजिक संस्थाओं, संगठनों ने हार फूल मालाओं से स्वागत किया। शोभायात्रा शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए कथा स्थल पहुंची। जहां मुख्य यजमान ने व्यास पीठ पर पोथी रख पूजन किया। प्रथम दिन नगर के प्रथम नागरिक महापौर प्रहलाद पटेल, समाजसेवी अनिल झालानी, मोहन भट्ट, सनातन सोशल ग्रुप संयोजक मुन्नालाल शर्मा, अध्यक्ष अनिल पुरोहित मुख्य रूप दीप प्रज्ज्वलन कर आचार्य श्री का स्वागत किया। पोथी पूजन मुख्य यजमान अचला राजीव व्यास, प्रज्ञा गौरव शर्मा, प्रेरणा राजशेखर भट्ट, सुषमा राजकुमार कटारे, कीर्ति राजेन्द्र व्यास ने किया। आचार्य श्री का स्वागत तुलसी परिवार अध्यक्ष बाबूलाल निर्मला चौधरी, राजेश नंदलाल व्यास, राकेश संगीता माली (सीतामऊ), कुसुम गजेंद्र चाहर, राजेश प्रतिभा सोनी, महेश व्यास, मधु हरीश रत्नावत, राजेश तिवारी, सुषमा श्रीवास्तव, एसएस पोरवाल, अनिल धानुक, लता, राकेश गुप्ता, संजय सोनी, अरुणकुमार, दीप शिखा, मंजू गुप्ता ने किया। संचालन कैलाश व्यास ने किया।
जो दोषारोपण करता है समझ लेना वह जिंदगी से हार गया
आंबेडकर मांगलिक परिसर में आयोजित मंगल प्रवचन में आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाईजी ने उद्धव स्थिति संहार कारिणी क्लेश हारिणीम। सर्व श्रेयकारी सीता नातोन्हं रामवल्लभम, श्लोक से श्री सीताजी चरित्र पर मंगल प्रवचन शुरूआत की। आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाईजी ने कथा के प्रथम दिन श्री सीताजी का चित्रण करते हुए बताया कि मां सीताजी सामान्य शक्ति नहीं है। मां सीताजी आलांदी शक्ति हैं। इसके बाद भी आधुनिक दौर में मनुष्य चतुर बनने की कोशिश में जुटा है। जीवन का यह भवसागर पार करने के लिए चतुर बनने के चक्कर में आप छल, कपट और अविश्वास न करें, बस एक साधारण मनुष्य बन जाए तो आप किसी भी व्यवधान के इस लोक से मुक्ति पा लेंगे। ब्रह्मर्षि किरीट भाईजी ने समाज को व्यासपीठ से संदेश दिया की मानव जब दोषारोपण करता है तो समझ लेना वह जिंदगी से हार गया है। महापुरुष कभी दोषारोपण नहीं करते इसलिए इतिहास में उन्हें उच्च मुकाम हासिल प्राप्त है। मां सीताजी का चरित्र भी ठीक उसी प्रकार से है, उनके जीवन में सदा सहनशीलता और क्षमा का भाव ही है। मां सीताजी का चरित्र सुनने भर से व्यक्ति की मति सुधरेगी जिससे उसकी गति सुधरेगी। ब्रह्मर्षि किरीट भाईजी ने ध्यान का अपने शब्दों में सुन्दर अर्थ प्रस्तुत करते हुए बताया कि जीवन को आंनद के रूप में देखना ही ध्यान है।