रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर रतलाम पहुंचे कांग्रेस महासचिव व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने केंद्र और प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि डबल इंजन वाली केंद्र और प्रदेश सरकार जनहित के कार्य नहीं कर रही है। केवल फिजूलखर्ची कर रही है। देश के हालात आज बद से बदतर है। गरीब, गरीब हो रहा और अमीर, अमीर।
मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए दिग्विजयसिंह ने यह साफ कर दिया कि कांग्रेस जयस, आप या अन्य किसी पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने मनावर विधायक डॉ. हीरालाल अलावा का हवाला देते हुए यह कहा कि जयस के नेताओं को कांग्रेस अपनी पार्टी से टिकट देकर चुनाव में जरूर उतार सकती है। दिग्विजयसिंह के इस बयान के बाद अब टिकट के लिए मेहनत कर रहे कांग्रेस नेताओं में खलबली मची हुई है। सूत्रों की माने तो हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में झाबुआ-रतलाम संसदीय क्षेत्र में जयस का प्रभाव देख कांग्रेस यहां की विधानसभा सीटों पर जयस नेता को मौका दे सकती है।
आम आदमी पार्टी और ओवैसी की पार्टी के मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ने के सवाल पर दिग्विजयसिंह ने कहा कि यह दोनों पार्टियां भाजपा की बी टीम है। प्रदेश में इनका कोई असर नहीं होने वाला है। प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का दावा करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस 135 से 145 सीट जीत कर सरकार बनाएगी।
भाजपा का पैटर्न अपनाने की बात
कांग्रेस कार्यकर्ताओं और मंडलम सेक्टर प्रभारियों की बैठक में दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि हमारा भाजपा के नेताओ से संपर्क हो जाता है लेकिन कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से नहीं। हमे भाजपा के पैटर्न पर चुनाव लड़ना है। हमारे बूथ कमजोर है उस बूथ लेवल मैनेजमेंट को कैसे हम मजबूत करें, उसके लिए आप सबका सहयोग की आवश्यकता है।
मंत्री बनने के बाद भूल जाते है नेता
कार्यकर्ताओं की बात व सुझाव सुनने के लिए दिग्विजयसिंह मंच से उतरकर सबसे पीछे जाकर बैठे। कार्यकर्ताओं के सुझाव को उन्होंने सुनकर डायरी में उसे नोट किया। उन्होंने यह भी कहा कि संगठन के 5 सूत्र महत्वपूर्ण है संपर्क, संवाद, समन्वय, सामंजस्य और सकारात्मक सोच। यह पांच चीजें अगर आपने अपनी कार्यशैली में उतार ली तो संगठन अपने आप दौड़ने लग जाएगा। इसी बीच कार्यकर्ताओं ने सुझावों में कहा कि चुनाव से पहले सब नेता अच्छे से रहते है लेकिन चुनाव जीत जाने और मंत्री बनने के बाद कोई पूछता तक नहीं है। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को आज आर्थिक मदद करने कोई आगे नहीं आ रहा है। चुनाव होते हैं तब पदाधिकारियों को कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी जाती। वरिष्ठों को साथ रखकर कोई मीटिंग या बैठक नहीं होती है और होती भी है तो कोई समय पर नहीं पहुंचता। दलित समुदाय के बीच भाजपा धार्मिक काम कर आगे हो रही है और हम धार्मिक आयोजन नहीं करवा पा रहे है। शहर में कांग्रेस का स्थाई कार्यालय अब तक नहीं बन पाया है। शहर के पोलिंग बूथ पर मुश्किल से एजेंट मिल पाते है।