जांच पर सवाल : मेडिकल कॉलेज की औपचारिक जांच भी समय-सीमा बाद अधूरी, दो दिन की जांच को बीते चार दिन

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रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
जिले के शासकीय मेडिकल कॉलेज में रेलकर्मी दीपेश पाठक द्वारा संचालित अवैध मेस से दूषित खाने से बीमार 40 से अधिक स्टूडेंट की दिखावे की औपचारिक जांच भी समय-सीमा बाद अधूरी है। 11 मार्च की सुबह फूड पॉइजनिंग की घटना सामने आने के बाद मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. जितेंद्र गुप्ता ने वरिष्ठ अधिकारियों को मामला संज्ञान में लाने की बजाए इसे छिपाते रहे। मीडिया से मामला उजागर होने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों की लताड़ पर घटना के 36 घंटे बाद प्रकरण में जांच कमेटी दिखावे के लिए गठित की गई। जांच कमेटी को दो दिन की समयावधी थी, लेकिन अवैध मेस संचालनकर्ता रेलकर्मी दीपेश पाठक को बचाने की जद्दोजहद में गठित टीम खाना-पूर्ति में जुटी है।
गुरुवार रात मेडिकल कॉलेज की अवैध मैस में बीमार स्टूडेंट ने बेसन के गट्टे की सब्जी के अलावा दाल और रोटी खाई थी। शुक्रवार सुबह सोकर उठने पर 40 से अधिक स्टूडेंट एक के बाद एक उल्टी, दस्त के अलावा बुखार के शिकार हो गए थे। मेडिकल कॉलेज प्रशासन दिनभर पूरे मामले को छिपाता रहा और बीमार स्टूडेंट को इधर-उधर शिफ्ट करता रहा। वंदेमातरम् न्यूज की टीम के मेडिकल कॉलेज पहुंचने पर पूरा मामला उजागर हुआ था। इसके बाद भी जिम्मेदार डीन डॉ. गुप्ता ने मामले में गंभीरता नहीं दिखाई, नतीजतन दूषित भोजन करने से एक गंभीर बीमार छात्र को 12 मार्च की रात आईसीयू (इंसेटिव केयर यूनिट) में शिफ्ट करना पड़ा। हालात ऐसे बने की आईसीयू में भर्ती गंभीर छात्र के परिजन कॉलेज प्रशासन की व्यवस्थाओं से नाराज होकर उसे अपने साथ इंदौर ले गए। उच्च चिकित्सा शिक्षा विभाग तक मामला पहुंचने पर उज्जैन संभागायुक्त संदीप यादव ने संज्ञान लेकर सोमवार को डीन डॉ. गुप्ता को तलब कर लताड़ लगाई।

अभी जारी है जांच
मेडिकल कॉलेज में फूड पॉइजनिंग को लेकर गठित समिति जांच कर रही है। जांच में सभी बिंदुओं को समाहित किया है। जल्द ही अंतिम रिपोर्ट तैयार कर वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।- डॉ. प्रदीप मिश्रा, अधीक्षक- शासकीय मेडिकल कॉलेज रतलाम

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