– दोषसिद्ध दंपती ने करीब साढ़े तीन वर्ष पूर्व पड़ोसी की कुल्हाड़ी से की थी हत्या
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में आलोट न्यायालय ने साढ़े तीन वर्ष पूर्व नृशंस हत्या में दंपती को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अभियुक्त दंपती ने पड़ोसी द्वारा पेड़ काटने का मना करने पर कुल्हाड़ी से हमला कर नृशंस हत्या को अंजाम दिया था। वारदात के दौरान मृतक पत्नी चश्मदीद रही थी। मृतक की पत्नी और मौके से पुलिस द्वारा जुटाए गए साक्ष्यों के आधार पर न्यायाधीश महेश कुमार चौहान ने सुनवाई उपरांत दोषसिद्ध पाते हुए सजा सुनाई है।
आलोट न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश चौहान ने अभियुक्त शंकरलाल (48) पिता पुरालाल एवं मंजूबाई (30) पति शंकरलाल निवासी ग्राम दोलतगंज (ताल) को धारा 302, 34 भादवि में दोषसिद्ध पाते हुए सश्रम आजीवन कारावास एवं 3000-3000 रुपए अर्थदण्ड से दण्डित किया है। प्रकरण में पैरवीकर्ता अपर लोक अभियोजक हेमेन्द्र कुमार गोयल ने बताया कि घटना 24 नवंबर-2019 के दोपहर की है। फरियादीया रजिया और उसका पति अकरम दोनों खेत में पाणत कर रहे थे। तभी करीब पौने तीन बजे अभियुक्त शंकरलाल व उसकी पत्नी मंजूबाई खेत पर आए और खेत के बीच बने सेडे पर खड़े खाकरे के पेड़ को शंकरलाल कुल्हाडी से काटने लगा था। तब अकरम ने उसे पेड़ काटने से मना किया। इसी बात पर अभियुक्त शंकरलाल उसे गालियां देते हुए हाथ में ली कुल्हाडी से अकरम की गर्दन पर हमला कर दिया था। इससे वह नीचे गिर गया था। मृतक की पत्नी रजिया चिल्लाते हुए दौड कर उसके पास पहुची तभी शंकरलाल कुल्हाडी लेकर खेत की तरफ भागा और शंकरलाल की पत्नी मंजूबाई ने लकड़ी से रजिया के साथ मारपीट को अंजाम दिया था। रजिया की आवाज सुनकर उसके परिवार वाले आए। रजिया ने उन्हें घटना बताई इसके बाद वह अकरम को हॉस्पिटल ले गए थे। बाद में अकरम के खेत पर शंकरलाल का भाई जगदीश व शंभूलाल और मदनलाल भी हथियार लेकर गए थे। फरियादीया द्वारा बताई गई उक्त घटना पर से पुलिस चौकी खारवाकलां पर आरोपियों के विरुद्ध भादंवि की धारा 307, 294, 506, 34 में प्रकरण पंजीबद्ध हुआ था। उपचार के दौरान अकरम की मृत्यु हो जाने से प्रकरण में धारा 302 बढाई जाकर आरोपीगणों को गिरफ्तार कर अनुसंधान उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। न्यायालय द्वारा विचारण उपरांत अभियोजन साक्ष्य को प्रमाणित पाते हुए शंकरलाल व उसकी पत्नी मंजूबाई को दोषसिद्ध पाया व आरोपी जगदीश, शंभूलाल और मदनलाल को दोषमुक्त किया।