रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
जिलेभर में बढ़ते अपराधों की रफ्तार भले धीमी ना हो। मगर पुलिस के वाहनों की रफ्तार जरूर धीमी पड़ गई है। बात शहर की चीता फोर्स की करे तो उसके हालात बेहद खराब है। शहर में कुल 10 रेसिंग बाइक चीता फोर्स के लिए विभिन्न थानों पर अटैच है। लेकिन इनकी हालत काफी खराब है। मालूम हो कि साल 2013 में तत्कालीन एसपी डॉ. जीके पाठक ने क्विक रेस्पांस टीम बनाई थी, जिसे चिता फोर्स नाम दिया गया। 2014 में चीता की रफ्तार बढ़ाने के लिए जवानों को रेसिंग बाइक दी गई। जिसके बाद 4 सालों तक चीता टीम के वाहनों की अच्छी देखरेख हुई। मगर अब ये रेसिंग बाइक अपनी उम्र पूरी कर चुकी है। इनकी हालत किसी मोपेड बाइक से कम नहीं रही। चीता में लगे जवान अब अपने निजी वाहन का उपयोग करने को मजबूर है। कहने को इन वाहनों को 8 साल ही हुए है मगर अपराधियों के चक्कर काटते काटते ये लाखों किलोमीटर का सफर तय कर अपनी उम्र पूरी कर चुकी है। मामले को संज्ञान में लाने के लिए एसपी अभिषेक तिवारी से चर्चा करना चाही लेकिन मोबाइल रिसीव नहीं किया। फिलहाल पुलिसकर्मियों को दरकार है कि उन्हें नवीन वाहन मिले। जिससे उनके काम में भी फुर्ती बनी रहे।

जैसे तैसे चला रहे काम, विभागीय बजट नहीं
पुलिस जवानों की माने तो मौजूदा बाइक का पिकअप पूरा खत्म हो चुका है। बाइक पर दो जवान बड़ी मुश्किल से सफर करते है। जवान तब सोच में पड़ जाते है, जब उन्हें घटनास्थल से किसी आरोपी को उस पर बैठाकर ले जाने की बारी आती है। तीसरे व्यक्ति को बैठाकर ले जाने में बाइक के साथ ही चीता जवानों की सांस भी फूल जाती है। इन बाइक का मेंटेनेंस जवान अपने स्तर पर करवाते है। जिसके बाद भी 10 में से 4 बाइक थानों पर धूल खा रही है क्योंकि अब वे मेंटेनेंस करवाने लायक भी नहीं है। रेसिंग बाइक होने से इनका पूर्व में एवरेज करीब 50 किमी प्रति लीटर था जो अब 15 से 20 रह गया है। फिलहाल पुलिस विभाग के पास नई गाड़ी खरीदने का कोई बजट नहीं है। वाहन शाखा के जिम्मेदारों की माने तो बाइक में जब भी कोई खराबी आती है तो उसमें सुधार करवाते है। विशेष रूप से समय- समय पर कोई मेंटेनेंस नहीं होता है।
किस थाने में कितनी चीता बाइक
थाना माणकचौक में 2, थाना स्टेशन रोड में 3, थाना औद्योगिक क्षेत्र में 3 व थाना दीनदयाल नगर में 2 चीता बाइक है। पूर्व में एसपी रहे जीके पाठक एवं एसपी अमित सिंह ने चीता बाइक की फुर्ती जानने के लिए सभी चीता बाइक जवानों को कुछ समय देकर एक स्थान पर बुलाकर मुस्तेदी जांची गई थी। लेकिन पिछले कई समय से किसी भी पुलिस अधिकारी ने इस ओर दिलचस्पी नहीं ली। बरहाल पूरे प्रदेश में पुलिस के यही हाल है।