असीम राज पाण्डेय, रतलाम। हाल में फूलछाप पार्टी ने निवृतमान जिला मुखिया को प्रदेश कार्यसमिति में शामिल कर चर्चाओं की अटकलों पर विराम की जगह हवा दी है। फूलछाप पार्टी की सूचिता की मानें तो जब जिले के मुखिया बतौर नए कार्यकर्ता को कुर्सी पर बैठाया जाता है, तब निवृत्त जिला मुखिया को प्रदेश कार्यसमिति में शामिल करने का पत्र भी हाथों-हाथ सौंपा जाता है। लेकिन रतलाम जिले के निवृत्त मुखिया के साथ ऐसा नहीं हुआ। कुर्सी जाने के साथ निवृतमान मुखिया को दिल्ली चुनाव में भी जिम्मेदारियों से दूर रखा गया। छह माह बीतने के बाद अचानक निवृत्तमान मुखिया का फूलछाप की प्रदेश कार्यसमिति में शामिल होने पर नए सवाल खड़े हो गए ? ये अंदर की बात है… कि निवृत्तमान मुखिया ने भले ही अपनी जाती के बड़े नेता से एप्रोच लगवाई हो, लेकिन इसमें फायदा स्थानीय जमीनी कार्यकर्ताओं का हो गया है। फूलछाप में चर्चा का विषय है कि अगर अब भी निवृत्तमान जिला मुखिया को सेट नहीं करते तो यह आगामी दिनों में जिला सहकारी और विकास प्राधिकरण की कुर्सी पर बैठने की मंशा जाहिर कर जमीनी कार्यकर्ता का अधिकार छिनते। फूलछाप ने विधानसभा मुखिया की बात मानने के साथ निवृत जिला मुखिया को छह माह बाद प्रदेश कार्यसमिति में लेकर एक तीर से दो निशाने लगाए। राजनीति गुरुओं की मानें तो निवृत्तमान जिला मुखिया को अब पार्टी में बड़े पद मिलने के आसार पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं।

तोड़-पट्टे में काम आ रही पुलिस चौकी
शहर का एकमात्र दार्शनिक और पर्यटन स्थल श्री कालिका माता मंदिर परिसर की पुलिस चौकी पर सुरक्षाकर्मियों की गैरहाजरी के सवालों पर जिम्मेदार भले ही अमले की कमी का हवाला देकर सूनी रखें। लेकिन आमजन की सुरक्षा के लिए बनाई गई पुलिस चौकी का दरवाजा दिन के अलावा रात में कभी-कभी आकस्मिक रूप से खुलता है। सवाल यह है कि आखिर चौकी का दरवाजा कौन और क्यों खोलता है? माताजी के नियमित दर्शनाथियों की मानें तो आमजन की सुरक्षा से ज्यादा चौकी का दरवाजा खोल कुछ खाकीधारी सांठगांठ का खेल पिछले कई दिनों से खेल रहे हैं। आमजन की सुरक्षा के लिए भले ही चौकी बंद हो लेकिन क्षेत्र के अलावा दूसरे थानों की पुलिस भी अपने जाल में फंसे शिकार को लेकर यहां आए दिन पहुंचती हैं और इत्मीनान से तोड़-पट्टे करती है। ये अंदर की बात है… कि श्री कालिका माता मंदिर परिसर में तालाब और हरे-भरे बगीचों में अब परिवार के साथ जाने वाले भी असुरक्षा को लेकर कतराने लगे हैं, क्योंकि यहां पर नशे के कारोबार के साथ असामाजिक तत्वों का जमावड़ा कुछ माह से ज्यादा जमने लगा है।
मीडिया को नहीं बताना खौफ है कायम
रतलाम फोरलेन पर दंपती से मारपीट कर लूट की वारदात में पुलिस के हाथ 15 दिन बाद भी खाली हैं। वारदात के बाद पीडि़त दंपती की एफआईआर लिखने के बजाए मीडिया के खौफ से पुलिस फरियादी से यह कहती रही कि मीडिया को नहीं बताना। लूटे दंपती को वारदात के समीप पेट्रोल पंप पर डायल-100 लेने पहुंची थी। लूटे-पीटे दंपती ने चौकी पर पुलिस को घटना बताई थी तब उन्हें एफआईआर के बजाए यह बोलकर चलता कर दिया था कि मीडिया को मत बताना। कहानी में मोड़ तब आया जब लूट के शिकार फूलछाप पार्टी में जिला पदाधिकारी के रिश्ते में भाई निकले। घर पहुंच फूलछाप जिला पदाधिकारी को घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने आला अधिकारियों को मोबाइल घनघनाए। हरकत में आए वरिष्ठ अधिकारी अगली सुबह मौके पर डॉग स्क्वॉड के साथ मुआयना करने पहुंचे। ये अंदर की बात है… कि जिस चौकी अंतर्गत यह घटना हुई है उसके तत्कालीन और वर्तमान मुखिया (दो तारों के साहब) पूर्व के कार्यकाल में 10 लाख की चोरी हुई भेड़-बकरी में आरोपियों से वापस दिलाने की सौदेबाजी में हटे थे। तत्कालीन कप्तान ने चोरी हुए भेड़-बकरी को वापस दिलाने के तकाजे पर फरियादी की दास्तां सुन दो तारों के साहब को तत्काल प्रभाव से हटाकर थाने अटैच किया था। दो तारों के साहब ने सिफारिश कर कप्तान को खुश कर चौकी की कुर्सी हथियाई हो लेकिन कार्यप्रणाली अभी भी बदमाशों के बचाव में है।