असीम राज पांडेय, केके शर्मा, जयदीप गुर्जर
रतलाम। चुनावी साल में सपने देखने और दिखाने का दौर शुरू हो गया। नगर निगम चुनाव में महापौर और पार्षद प्रत्याशी के लिए भाजपा से बगावत कर निर्दलीय पर्चा भरने वाले “अंकल” के समर्थक अब पोस्टर वार करने लगे हैं। नगर निगम चुनाव में मान-मनोव्वल के बावजूद नाम वापस नहीं लेना और अंतिम समय में भाजपा का समर्थन कर “अंकल” ने राजनीति बिसात में अपना खेल दिखाने की कोशिश जरूर की थी। लेकिन इनका खेल नहीं चला और भाजपा ने जिला मीडिया प्रभारी का महत्वपूर्ण पद छिन आम कार्यकर्ता की कतार में लाकर खड़ा कर दिया। “अंकल” के जन्मदिन पर बधाई और शुभकामना का एक पोस्टर सैलाना ओवरब्रिज किनारे चर्चा का विषय बना है। “अंकल” के मित्रमंडल ने पोस्टर के शुरुआत में संदेश लिखा रतलाम नगर का विधायक कैसा हो…। शहरवासियों का सवाल यह है कि जिन “अंकल” ने निगम चुनाव में दो-दो उम्मीद्वारी जताकर रण छोड़ा हो वह विधायक प्रत्याशी की रेस में कहां तक दौड़ेंगे?
शहर प्रमुख आ गए महानुभवों के निशाने पर
पिछले दिनों कांग्रेस के राजा साहब कार्यकर्ताओं का उत्साह जांचने आए। कार्यकर्ताओं की समस्या और सुझाव सुन मीडिया से मुखातिब होने सर्किट हाऊस पहुंचे। राजा साहब ने शहर प्रमुख को निर्देश दिया कि यहां कोई नेता नहीं होना चाहिए सिर्फ मीडिया ही रहेगी। राजा साहब का फरमान सुन शहर प्रमुख सावधान की मुद्रा में आ गए। वाक्या ऐसा है कि इसी दौरान पूर्व महापौर और उपमहापौर प्रेस कॉन्फ्रेंस कक्ष में घुसने लगे। द्वार पर खड़े शहर प्रमुख ने जैसे ही राजा साहब का फरमान सुनाते हुए पूर्व महापौर और उपमहापौर को रोका। वैसे ही दोनों महानुभवों का पारा चढ़ गया। राजा साहब सर्किट हाऊस से रूखस्त हुए और बवाल हो गया। शहर प्रमुख को दोनों ने घेर बोला देख तो रे…, देखने बोला करिया कर, कणीं ने कई बोल रियो है…,आज रो तो तन्हें खामियाजों भुगतनों ही पड़ेगा। विपक्ष की भूमिका में हर मुद्दे पर हाथ झटकने की शिकायत से कार्यकर्ताओं की नाराजी के बाद अब शहर प्रमुख महानुभवों के निशाने पर आकर चिंता में डूब रास्ता खोज रहे हैं।
युवा नेता को होना पड़ा मायूस
प्रतापनगर के एक मकान की तीसरी मंजिल पर जुए अड्डे पर पुलिस की दबिश ने भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश कार्यसमिति सदस्य की नींद उड़ा दी। युवा नेता पहले तो अपने करीबी जुआरी को बाहर प्रकरण से बाहर निकालने की हरसंभव कोशिश में जुटे रहे। कोशिश नाकाम होने पर नेताजी को पता चला कि अड्डे से पकड़ाए 30 जुआरियों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई हुई है और उनका जुलूस निकाला जाएगा। तो वह सुबह-सुबह फिल्डिंग भरने के लिए थाने पहुंच गए। टीआई से मध्यस्थता करने के लिए सूचना संचलनकर्ता से बात भी पहुंचाई गई। लेकिन बात नहीं बनी। 30 जुआरियों की बड़ी बारात निकालने से ठीक पहले थाने पर अंतिम कोशिश करने पहुंचे युवा नेता और उनके करीबियों के चेहरे उतर गए।