असीमराज पांडेय, केके शर्मा, जयदीप गुर्जर।
रतलाम। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बहनों और भांजियों के लिए भले ही मंच से बड़ी-बड़ी बातें कर लें, लेकिन भाजपा की महिला पार्षद ही नगर निगम अधिकारियों की उपेक्षा का शिकार है। वाक्या कुछ ऐसा है कि पिछले दिनों भाजपा जिला प्रभारी रतलाम जायजा लेने पहुंचे। चुनावी वर्ष होने पर दिनभर अलग-अलग स्तर पर कार्यकर्ताओं और पूर्व पदाधिकारियों को साधने की कोशिश में रहे। जिला प्रभारी ने भाजपा पार्षद दल की संयुक्त बैठक शहर माननीय, नगर सरकार माननीय सहित पार्टी के जिला मुखिया की मौजूदगी में ली। महिला पार्षदों ने अपना दुखड़ा बैठक में जमकर रोया। महिला पार्षदों की पीड़ा थी कि निगम के अधिकारी और कर्मचारी उनके मोबाइल रिसीव नहीं करते। पार्षद प्रतिनिधि (पति और पुत्र) जब समस्या को लेकर फोन लगाते हैं तो उत्तर देते हैं कि हम तुम्हें नहीं जानते और फोन काट देते हैं। मामले की गंभीरता पर जिला प्रभारी ने आश्वासन तो दिया लेकिन अंदर की बात यह है कि आश्वासन का असर सात दिन बाद भी नजर नहीं आया।
रसीद बिना 50 प्रतिशत राशि वसूलने का खेल
शहर की बदहाल यातायात व्यवस्था के अलावा फरियादी की शिकायत सुनने में अमले की कमी का रोना रोने वाली पुलिस इन दिनों बाहरी क्षेत्रों में वाहन चेकिंग के नाम पर वसूली में जुटी है। खास बात यह है कि थाना क्षेत्र की अंतिम सीमा पर पाइंट लगाकर 3-4 पुलिसकर्मियों का जमावड़ा मोटर व्हीकल एक्ट का पाठ पढ़ा रहा है। सवाल है कि संबंधित थाने की सीमा के अंतिम छोर पर खड़े होकर वाहन क्यों रोके जा रहे हैं? उक्त मुद्दे पर आमजन के जवाब हैं कि थाना की सीमा के अंतिम छोर पर खड़े होने से गाड़ी छुड़ाने के लिए कोई पहुंच वाला मौके पर नहीं जाता तो दूसरी तरफ चेकिंग के नाम पर भोले-भाले ग्रामीणों से बेखौफ जंगल में जेब गर्म का खेल बदस्तूर रहता। अंदर की बात यह है कि सैलाना रोड, सागोद रोड, सेजावता फंटा, कनेरी रोड या फिर करमदी रोड सभी थाना क्षेत्र की पुलिस बेरीकेड्स लगाकर पहुंच दिखाने वालों को रसीद थमा रही तो ग्रामीणों से रसीद बिना जुर्माने की 50 प्रतिशत राशि वसूल रही।
करीब पहुंचने के लिए खोज रहे रास्ता
सात दिवसीय धार्मिक आयोजन में एक ऐसा परिवार शहर माननीय के करीब आया, जो पिछले कुछ समय से नाराज चल रहा था। नाराजगी का कारण यह था कि उक्त परिवार के एक व्यक्ति को मनमाफिक पद के लिए शहर माननीय ने लायक नहीं समझा था। करीब आठ माह तक दूरी बनाकर रखना और भाई की पीड़ा से व्यथित अग्रज ने सोशल मीडिया पर शहर विकास के मुद्दे पर जमकर उल्टियां की। अचानक नाराज परिवार ने धर्म की गंगा की तैयारियों में जुट ऐसी डूबकी लगाई कि पार्टी पदाधिकारियों सहित सोशल मीडिया पर शोर मचाने वाले दंग रह गए। ये अंदर की बात है कि चुनावी वर्ष में फूलछाप के कुछ कथित दुपट्टाधारी लाइन में लगे हैं जो कि शहर माननीय के करीब पहुंचने के लिए रास्ता खोज रहे हैं, लेकिन परिपक्वता की कसौटी पर कैसे खरे उतरेंगे इसका अंदाजा नहीं लगा रहे।