
– रेड में अलग-अलग कक्षाओं की किताबों के बंडल व स्कूल यूनिफॉर्म कार्टूनों में मिली
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। रतलाम में अर्से बाद निजी स्कूल प्रबंधन की मनमानी के शिकार हो रहे पैरेंट्स के लिए रविवार को राहत की खबर मिली है। नींद से जागा जिला प्रशासन ने सैलाना रोड स्थित श्री चेतन्य टेक्नों स्कूल में रविवार को रेड डाली। अधिकारियों को शिकायत मिली थी स्कूल परिसर से पैरेंट्स को मनमाने दामों पर किताबे व स्कूल यूनिफॉर्म नियम विपरित दी जा रही है। अधिकारियों को स्कूल में चार कमरों में अलग-अलग कक्षाओं की किताबों के बंडल व स्कूल यूनिफॉर्म कार्टूनों में मिली। जिन्हें जब्ती में लेकर एक रूम में रख सील कर दिया है। स्कूल में अधिकारी 5 घंटे तक रहे। लेकिन स्कूल प्रिंसीपल समेत अन्य स्टॉफ नहीं पहुंचा।
रविवार सुबह 11 बजे तहसीलदार ऋषभ ठाकुर, नायब तहसीलदार आशीष उपाध्याय, जिला शिक्षा अधिकारी केसी शर्मा, बीआरसी विवेक नागर समेत अन्य पहुंचे। स्कूल के अलग-अलग कक्ष जांचे तो ढेरो किताबों व यूनिफॉर्म मिली। सभी को एक अलग रूम में रखवाया। कार्रवाई शाम 4 बजे तक चली। इस दौरान स्कूल के जिम्मेदार कोई भी नहीं पहुंचे। स्कूल के रिसेप्शन पर एक कर्मचारी के अलावा कुछ तीन से चार अन्य कर्मचारी जरुर थे। स्कूल के कर्मचारियों को प्रिंसीपल को बुलाने को कहा गया। कर्मचारियों ने कॉल भी किया। लेकिन कार्रवाई चलने तक कोई स्कूल में नहीं पहुंचा। जितनी किताबे जब्त की है उसमें एक भी एनसीआरटी की बुक नहीं मिली। यहां तक जो किताबे थी वह बड़ी महंगी भी थी। नियमानुसार स्कूल प्रबंधन पर 2 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है। रिपोर्ट सबमिट कर कलेक्टर के सामने प्रस्तुत की जाएगी।
शिक्षा विभाग के जिम्मेदार की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में
नींद से जागे अधिकारियों ने स्कूल के एक रुम में एक साथ किताबों के बंडल व यूनिफॉर्म से भरे कार्टून रखवाएं। इसके बाद रुम को सील कर दिया। जिला प्रशासन को सूचना मिली थी स्कूल द्वारा किताबे व यूनिफॉर्म का वितरण किया जा रहा है। जो कि नियम विरुद्ध है। अभिभावक अपनी स्वेच्छा से बाजार से क्रय कर सकता है। स्कूल द्वारा ऑनलाइन व ऑफलाइन पेमेंट के माध्यम से पैरेंट्स से रुपए लेकर किताबे व यूनिफॉर्म दी जा रही है। जिसके प्रमाण भी मिले है। जिला शिक्षा अधिकारी की लापरवाही पूरे मामले में अब सवाल खड़े कर रही है कि नए शिक्षा सत्र शुरू होने के बाद उनके द्वारा अब तक निजी स्कूलों द्वारा पैरेंट्स को लूटने के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की ?