रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। रतलाम के प्रसिद्ध सोने-चांदी बाजार में सराफा एसोसिएशन के पदाधिकारियों की मनमानी हावी है। इसका खामियाजा कई व्यापारियों को उठाना पड़ रहा है। रतलाम सराफा एसोसिएशन के चुनाव हुए करीब 7 साल बित गए है। मौजूदा पदाधिकारी नियम से मुंह मोड़कर चुनाव के लिए आगे नहीं आ रहे हैं, जबकि व्यापारी सराफा एसोसिएशन के संविधान का हवाला देकर असंतोष जाहिर कर रहे हैं कि चुनाव का नियम 2 वर्ष का है। व्यापारियों में भारी असंतोष से अब एसोसिएशन के चुनाव की मांग उठने लगी है।
रतलाम शहर की सबसे प्रतिष्ठित संस्था सराफा एसोसिएशन में सबकुछ मनमर्जी का चल रहा है। वर्ष 2015-16 में एसोसिएशन के चुनाव हुए थे। चुनाव कराने का 2 साल का नियम है। लेकिन आज तक चुनाव नहीं हुए हुए है। व्यापारियों के अलावा कुछ कार्यकारिणी सदस्य भी चुनाव कराने चाहते हैं लेकिन मौजूदा अध्यक्ष की हठधर्मिता के कारण चुनाव नहीं हो पा रहे हैं। यहां तक एसोसिएशन की बैठक भी नहीं हो पा रही है। जबकि सामान्य बैठक 6 माह व कार्यकारिणी की बैठक प्रत्येक 2 माह में होना अनिवार्य है।
एक की मृत्यु तो एक दे चुके है इस्तीफा – सराफा एसोसिएशन में अध्यक्ष, सचिव सहित 11 कार्यकारिणी सदस्य है। इनमें से एक सदस्य पूनमचंद लुणावत की मृत्यु हो चुकी है। जबकि एक अन्य सदस्य सुरेंद्र भरगट जो कि मौजूदा अध्यक्ष के भाई है उन्होंने भी करीब एक साल पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। ऐसे में कार्यकारिणी में अब केवल 9 ही लोग शामिल है। इधर कुछ पदाधिकारियों ने अपना वोट बैंक मजबूत करने के लिए कई लोगों को सदस्य भी बना लिया है। लेकिन उसकी भी आज तक कोई सूची बनाकर प्रस्तुत नहीं की। ऐसे में अंदर ही अंदर व्यापारियों व मौजूदा पदाधिकारियों में रोष भी पनप रहा है।
सराफा अध्यक्ष बोले आपको क्या करना – चुनाव नहीं कराने को लेकर जब सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष झमक भरगट से जानना चाहा तो पहले तो वह भड़क गए। कहने लगे चुनाव हो या न हो उससे आपको क्या लेना। जब संविधान का हवाला दिया तो कहने लगे कि 99 प्रतिशत व्यापारी ही नहीं चाहते चुनाव कराना। पूर्व में भी अध्यक्ष रहे है जो कि 30 से 40 साल तक रहे है। मेरे अकेले से क्या होगा। दुकान पर आकर मिलो आप, करते है बात। इसके बाद फोन कट कर दिया।
क्या बोले व्यापारी
मैं खुद कार्यकारिणी सदस्य है। कई बार अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों को अवगत करा चुके हैं। लेकिन चुनाव कराने की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। – कीर्ति बडज़ात्या, कार्यकारिणी सदस्य
7 साल होने को आ गए है। वर्तमान अध्यक्ष चुनाव नहीं कराने चाहते है। नियम के अनुसार चुनाव नहीं होने पर कार्यकारिणी स्वत ही भंग हो जाती है। वर्तमान अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारी एक तरह से अवैध रूप से काबिज है। – विनोद मूणत, पूर्व अध्यक्ष
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