असीमराज पांडेय, रतलाम। रतलाम जिला मुख्यालय पर मनमर्जी की कथित पाठशालाएं अरसे से संचालित हो रही हैं। जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते इन पाठशालाओं में बच्चियों की दुर्दशा से बेपरवाह जिम्मेदारों के मुंह से प्रदेश बाल आयोग सदस्य ने पांच दिन पूर्व कंबल हटाया तो अगले दिन एक महिला प्रशासनिक अधिकारी सिस्टम के नकारेपन को छिपाने के लिए कथित पाठशाला की प्रवक्ता बतौर मीडिया को जवाब देती नजर आई। होशियारी दिखाने वाली मैडम का प्रवक्ता बनना राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग को भी नागवारा गुजरा। मामले में आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपनी भड़ास सोशल मीडिया पर निकालते हुए रतलाम जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने नसीहत देने के साथ तंज कसा है कि मैडम ने मदरसे पहुंच प्रवक्ता की तरह बयान देकर मदरसे को क्लीनचीट दी है। हालांकि मैडम की होशियारी पर राष्ट्रीय अध्यक्ष ने प्रशासन को नोटिस जारी करने के साथ बाल अधिकार कानूनों पर मैडम को प्रशिक्षण दिए जाने के लिए सरकार को अनुशंसा करने की हिदायत दी है। ये अंदर की बात है… कि यह मैडम पहली बार किसी मामले में प्रवक्ता नहीं बनी है, उन्हें बीमारी है कि वह किसी भी मसले में अपनी टांग अड़ाकर होशियारी दिखाने से पीछे नहीं रहती। इस बार भी मदरसे के मामले में उन्होंने प्रवक्ता बनकर अपने और सिस्टम के नकारेपन को छिपाने की पूरी कोशिश की, लेकिन बदकिस्मती ऐसी थी कि होशियारी काम नहीं आई।

बदनामी से बचने के लिए “बादाम” हो गया रंगवाला
पिछले दिनों होटल समता सागर में पत्ते फेंट दांव लगाने के खेल में गिरफ्तार 9 आरोपी में एक आरोपी बेनकाब नहीं हुआ है। एक शातिर जुआरी ने ऐसी जादूगरी दिखाई कि खाकी भी अब अपने बाल खुजाकर लीपापोती में जुटी है। वाक्या कुछ इस प्रकार से है कि होटल समता सागर के रूम नंबर-336 में जब कप्तान की टीम ने दबिश मारी तो मौके से 9 आरोपियों को गिरफ्तार कर स्टेशन रोड थाने लाया गया। समाज में बदनामी के चलते एक वर्ग विशेष के जुआरी ने खाई “बादाम” से ऐसा दिमाग दौड़ाया कि वह रंगवाला हो गया। मामला सामने आने के बाद मीडिया में जब कप्तान की दबिश के बाद गिरफ्तार आरोपियों के नाम उजागर हुए तो सवाल खड़े हुए। थाने पर एफआईआर में रंगवाला सरनेम का जो आरोपी दर्ज हुआ है, उस नाम का वर्ग विशेष में व्यक्ति नहीं है। दरअसल मौके से जिस वर्ग विशेष के व्यक्ति को पकड़ा था उसके नाम का पर्याय है बांटने वाला (कासिम)। “बादाम” खाते-खाते पत्ते फेंटने वाले ने थाने पर नाम-पता सब गलत दर्ज कराया। हालांकि कासिम शब्द का अर्थ अक्सर बांटने वाला, बुद्धिमान, निष्पक्ष और न्यायप्रिय के रूप में दर्ज है, लेकिन कासिम ने खाई “बादाम” ने समाज में बदनामी से बचने के लिए ऐसी जादूगरी दिखाई कि “बादाम” तो पाकसाफ हो गया और समाज के लोग रंगवाला को तलाश रहे हैं।
चार दिन बाद फोटो खिंचवाने पहुंचे समाजसेवी
बुजुर्ग किराना व्यापारी पर जानलेवा हमले के चार दिन बाद कुछ समाजसेवियों में गुंडे के खिलाफ पनपा आक्रोश समाज में अब चर्चा का मुद्दा है। वारदात के बाद वर्ग विशेष के बदमाश ने सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर पुलिस को चुनौती दी थी। मीडिया में प्रमुखता से उक्त वारदात को प्रसारित कर शहर में बढ़ते गुंडे-बदमाशों के आतंक पर सवाल कलमकारों ने खड़े किए थे। गुंडे-बदमाशों की पुलिस ने इस तरह पूजा-पाठ की कि वह सड़क पर चलने के काबिल नहीं बचे। हमले में घायल बुजुर्ग अस्पताल से उपचार के बाद घर पहुंच गए और आरोपियों की खिदमतगारी कर जेल भी विदा कर दिया था। इसके बाद समाज के कुछ फोटोछापो की आंखें खुली और कप्तान के पास पहुंचे। आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के साथ मकान तोड़ने की मांग करने लगे। कप्तान ने भी फोटोछापों के आनंद लेने के साथ बैठे-बैठे चार दिन बाद नींद से जागने वालों से लिखित आवेदन लेकर इतिश्री कर ली। ये अंदर की बात है… कि फोटोछापो में शामिल फूलछाप की युवा तरुणाई भी कप्तान के चेंबर में आगे-आगे खड़े थे, लेकिन कप्तान ने इन्हें पहचानना तो दूर खड़े होकर फोटो खिंचवाना भी मुनासिब नहीं समझा। चेंबर से बाहर निकलने के बाद कुछ साथियों ने फोटोछापो की दुर्गती का ऐसा प्रसारण किया कि मामला समाज के साथ अब चौराहों-चौराहों पर चर्चा का विषय बन चुका है।