असीम राज पांडेय, केके शर्मा, जयदीप गुर्जर
रतलाम। शहर के पटरी पार क्षेत्र में मल्लिका-ए-अर्जुन के नाम से मिलता जुलता प्रसिद्ध एक आलीशान विवाह स्थल का लाइसेंस बनाने के एवज में 30 हजार रुपए की रिश्वत की मांग सुर्खियों में है। वाक्या कुछ ऐसा है कि विवाह स्थल के मालिक ने पिछले दिनों नगर निगम में लाइसेंस के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। शहर की गंदगी से बेफिक्र और जिले के मुखिया की सार्वजनिक डांट खाकर वायरल होने वाले साहब की टैबल पर जैसे ही आवेदन पहुंचा, उनके हथेलियों में खुजली होने लगी। साहब सुप्रसिद्ध गायक किशोर कुमार की आवाज में गाने वाले और पटरी पार सफाई की कमान संभालने वाले शागिर्द को सफेद रंग की कार में बैठाकर मल्लिका-ए-अर्जुन के यहां पहुंचे। साहब ने पहुंचते ही 30 हजार रुपए की डिमांड कर डाली। मल्लिका-ए-अर्जुन के मालिक ने राजनीती पहुंच के चलते स्टेशन रोड मोबाइल घनघनाया। स्टेशन रोड पर आमजन की समस्याओं को सुलझाने वाले जिम्मेदार ने साहब को मोबाइल देने को कहा। साहब ने जैसे ही जी से संवाद शुरू कर पक्ष रखने की कोशिश की उसके पहले गुस्साई आवाज सुनाई दी चलो निकलो वहां से…। मुहं लटकाए साहब शागिर्द के साथ उल्टे पैर वापस लौट आए।
… चाटुकारिता से नाम हो रहा “रोशन”
शहर के एक थाने का जवान चापलूसी से नाम “रोशन” कर रहा है। वर्दी के महकमें में “रोशन” की चापलूसी से थाना प्रभारी से लेकर तीन तारों के साहब इतना गदगद हैं कि वह आरक्षक का कहना किसी सूरत में नहीं टालते। हाल ही में मां सहित दो मासूम की कुल्हाड़ी से नृशंस हत्या के बाद घर के पोर्च में शवों के गाढ़े जाने का खुलासा हुआ। महकमें में चर्चा है कि इस खुलासे में अहम भूमिका दो पुलिसकर्मियों की थी। खुलासे में चाटुकारिता करने वाले ने मंत्रीजी के हाथों पुरस्कार पाकर नाम रोशन कर लिया। शहर की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले तीन तारों के साहब के अनुमोदन पर “श्रीमान” ने भी विश्वास कर लिया और ऐसे कर्मचारी को मंत्रीजी के हाथों पुरस्कृत करवा दिया, जिसका ट्रिपल हत्याकांड खुलासे से कोई वास्ता नहीं था। महकमें में अब चर्चा है कि “रोशन” होना है तो काम नहीं चाटुकारिता सीखना जरुरी है।
… नेतागिरी-ठेकेदारी में मदहोश ग्राम पंचायत सेवक
ग्राम पंचायत सेवक काम पर ध्यान कम और नेतागिरी-ठेकेदारी में ज्यादा मदहोश हैं। शहर से सटी बड़ी ग्राम पंचायतों में मन माफिक जोड़ तोड़ कर जमे चुनिंदा सेवकों ने परिवार सदस्यों के नाम निर्माण सामग्री की दुकानें खोल दी है। ग्राम पंचायतों में निर्माण से जुड़ा काम इन्हीं सेवकों की फर्म से हो रहा है। अधिकारियों से लेकर नेतानगरी में अच्छी पैठ जमा कर अपने काम की बजाए दूसरे कामों पर ज्यादा ध्यान देते हैं। कुछ सेवक तो ऐसे है वह डबल फायदा उठा रहे है क्योंकि इनकी अर्धाग्नियां भी अन्य ग्राम पंचायतों में सेवक है। घर के साथ-साथ उनकी ग्राम पंचायतों का सारा काम काज भी वहीं देखते है। कुछ सेवक तो ऐसे है जिनके पास निर्माण कार्यों से जुड़े सारे उपकरण भी उपलब्ध है। पिछले दिनों एक विभाग की महिला कर्मचारियों ने एक सप्ताह तक अपनी मांगों के लिए आंदोलन किया तो इसमें भी नेतानगरी व ठेकेदारी करने वाले ग्राम पंचायत के सेवक नौकरी छोड़ मैदान में थे। जांच का सवाल यह की ऐसे सेवकों ने आंदोलन के दिनों की उपस्थिति ग्राम पंचायत में रजिस्टर में अंकित की या नहीं? अगर अपनी उपस्थिति दर्ज की है कि तो वह नियम विरुद्ध है और अधिकारियों ने क्या ध्यान दिया?