असीमराज पांडेय, केके शर्मा, जयदीप गुर्जर
रतलाम। रतलाम शहर के चांदनीचौक हमले में चाट व्यवसायी की मौत ने जनसेवा शब्द को कटघरे में खड़ा कर दिया। हमले के चौथे दिन समाजजन और परिजन ने कप्तान को ज्ञापन सौंप षड्यंत्रकर्ताओं को बचाने का संगीन आरोप लगाया। कप्तान को शायद यह नहीं पता था कि हमले के मुख्य षड्यंत्रकर्ता संबंधित थाना क्षेत्र के मुख्य सटोरियों के भतीजे और भांजे हैं। 200 से 300 रुपए के सट्टा पकडक़र कॉलर ऊंची करने वाली पुलिस के माथे पर पसीना तब आया जब प्राइवेट हॉस्पिटल में उपचारत बुजुर्ग ने दम तोड़ा। षड्यंत्रकर्ताओं के चाचा और मामा की बिछाई बिसात ने सडक़ पर रखी अर्थी ने पानी फेर दिया। षडय़ंत्रकर्ता का वारदात स्थल पर खड़े रहना और नए-नवेलों से हमला करवाकर अंत तक माजरा देखने का वीडियो वायरल होने के बाद पिंजरे में छोड़े आरोपियों को दो दिन के लिए बाहर निकाला गया। ये अंदर की बात है… कि आरोपियों की जुबानी से एक नई कहानी लिख षड्यंत्रकर्ताओं को भी पिंजरे में डालने का बंदोबस्त कर वर्दी ने बदनामी का धब्बा धोया।
कुर्सियां हो गई खाली और बिफर गए नेताजी
देश के मुखिया हाल ही में शहडोल जिले में आए। रतलाम में सीधे प्रसारण को देखने के लिए भीड़ जुटाने का जिम्मा स्वास्थ्य विभाग के पास था। नर्सिंग स्टूडेंट से लेकर अन्य कई लोगों को बसों से लाया गया। कार्यक्रम शहर के सभागृह में हुआ। शहर माननीय एवं नगर माननीय के साथ फूल छाप पार्टी के नेतागण भी पहुंचे। अब हुआं यू की देश के मुखिया के भाषण चल रहा था तब धीरे धीरे कुर्सियां खाली होने लगी। नर्सिंग स्टूडेंट भी अपनी बसों में जाकर बैठ गए। मौजूद नेताओं ने स्वास्थ्य विभाग के मुखिया को सभी को रोकने को कहा, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया। देखते देखते नेताओं के अलावा कुछ गिने चुने लोग बचे। इस बात को लेकर शहर माननीय ने भी इशारे ही इशारे में सम्बंधित अधिकारी पर नाराजगी जता दी। लेकिन एक नेताजी तो अपने नम्बर बढ़ाने के चक्कर मे इतने बिफर गए कि स्वास्थय विभाग के अधिकारी को सबके सामने बहुत कुछ सुनाया। स्थिति ऐसी बनी कि आयुष्मान कार्ड का वितरण भी मंच के बजाए नीचे से ही पात्रधारियों को करना पड़ा।
पंजापार्टी की अंतर्कलह आने लगी सामने
चुनावी साल के कारण प्रदेश स्तरीय नेताओं का जिले में आना-जाना लगा है। स्थानीय नेताओं को भी अपने मन की भड़ास निकालने का मौका मिल रहा है। पिछले दिनों पंजापार्टी के एक नेताजी रतलाम आए। सर्किट हाउस के कमरा नंबर – 5 में अलग- अलग नेताओं से मुलाकात की। शहर के अल्पसंख्यक क्षेत्र से जीते पार्षदों ने एक साथ होकर प्रभारी के सामने अपने मन की भड़ास निकालते हुए कहा कि शहर के पदाधिकारियों द्वारा तवज्जों नहीं दी जाती। जबकि सबसे ज्यादा वोट हमारे क्षेत्रों से मिलते है। इतना ही नहीं अलग अलग खेमे में आए शहरी नेताओं ने भी चुनाव को लेकर दमदारी से ताल ठोकने की कोशिश की। कुछ गुट में मिले तो कुछ अकेले ही जाकर फुसफुसाते रहे। प्रभारी से मुलाकात के बाद शहर की पंजापार्टी की अंतर्कलह एक बार फिर खुलकर सामने आ गई।
