रतलाम, वन्देमातरम् न्यूज।
(जयदीप गुर्जर) नगर सरकार बनाने के लिए नामांकन दाख़िल करने की आखिरी तारीख 11 जून है। कांग्रेस व भाजपा दोनों ही गुटों में पार्षद के साथ ही महापौर के टिकट पर जोर आजमाइश जारी है। भाजपा के दावेदार विसाजी मेंशन से लेकर भोपाल प्रदेश कार्यालय तक का सफर एक दिन में पूरा कर रहें हैं वहीं कांग्रेस के दावेदार झाबुआ विधायक कांतिलाल भूरिया व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के चक्कर लगाते नजर आ रहे हैं। दोनो ही पार्टियों में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति बनी है। टिकट तय करने के बाद दोनों पार्टियों को नाराज़ हुए दावेदारों के बागी तेवरों से भी दो-दो हाथ करना पड़ सकते हैं। निकाय चुनावों की खूबसूरती यही है की जनता यहां पार्टी नहीं चेहरा देखकर वोट देती है। लम्बे समय से आम जनता को पानी, साफ-सफाई और सड़क ने खूब रुलाया। अब गेंद जनता के पाले में है देखना यह दिलचस्प होगा कि जनता किसे रुलायेगी। दोनो ही पार्टी के घोषणा पत्रों का भी सभी को इंतजार रहेगा। चर्चा यह भी है की आम आदमी पार्टी भी इस बार रतलाम के राजनीति मैदान में उतरेगी। बरहाल देखना यह होगा की आप कितने वार्डों में अपने प्रत्याशी उतारेगी और वे प्रत्याशी होंगे कौन ? आम आदमी पार्टी दोनो दलों से बागी होने वालों के लिए दूसरा विकल्प बनकर भी सामने आ सकती है। आप का घोषणा पत्र और महापौर प्रत्याशी का सभी को इंतजार रहेगा।
भाजपा संगठन में पार्षद टिकट के लिए उज्जैन और महापौर टिकट के लिए भोपाल से आख़री मोहर लगेगी। मगर अब तक इसमें कोई हलचल नहीं है, क्योंकि पार्टी अभी सर्वे और चेहरों को टटोलने में लगी है। भाजपा की सम्भागीय व प्रदेश चयन समिति फिलहाल संघ नेताओं के व्यस्त कार्यक्रम को लेकर कोई निर्णय नहीं दे पाई है। नगरीय निकायों में संघ की पसन्द को हर बार भाजपा की ओर से नगरीय निकायों में तवज्जो दी जाती आ रही है। सम्भवतः 8 या 9 जून को भाजपा अपने रतलाम सहित अन्य निकायों के प्रत्याशियों को सामने ला सकती है। जिसके बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। भाजपा में महापौर पद की दौड़ में अब तक जो नाम सामने आ रहें है उनमें अशोक पोरवाल, प्रहलाद पटेल, प्रवीण सोनी, अनिता कटारिया, बलवंत भाटी, विनोद राठौड़, अरुण राव, रविन्द्र पाटीदार व अन्य हैं। वहीं सूत्रों के अनुसार भाजपा में शहर के एक वाहन कारोबारी का भी नाम टिकट की दौड़ में चल रहा है। पूर्व में डॉक्टर मेडम की तरह इस बार भी भाजपा नया समाजसेवी चेहरा लाकर चोंका भी सकती है।
कांग्रेस के सामने करो या मरो की स्थिति जग जाहिर हो चुकी है। कुछ दिनों पहले युकां के डॉ विक्रांत भूरिया ने टिकट बंटवारे के हवाले से कांग्रेसियों को पहले ही भाजपा में जाने तक कि नसीहत देदी। कांग्रेस फिलहाल अपने अपने दावेदारों के नामों की पड़ताल शुरू कर रही है। कांग्रेस ने पार्षद प्रत्याशी चयन के लिए स्थानीय समिति बनाकर उसीको जिम्मा सौंपा है। जबकि महापौर के लिए कांग्रेस में भी भोपाल हाईकमान के निर्देश पर प्रत्याशी घोषित होगा। महापौर के लिए कांग्रेस कोई कद्दावर चेहरा ढूंढने की जुगत में लगी है। कारण स्पष्ट है की पिछले पांच चुनावों से कांग्रेस को महापौर सीट हाथ नहीं लगी। कांग्रेस इस वक़्त महापौर के लिए मयंक जाट, राजीव रावत, सतीश राठौड़, प्रभु राठौड़, रामचंद्र धाकड़ जैसे कुछ ओर नामों पर विचार कर रही है।