असीम राज पांडेय, रतलाम। आप अगर भूखंड पर निर्माण कर रहे हैं और उक्त भूखंड की आपने निर्माण अनुमति नहीं ली है तो सावधान रहिए। पटरी पार क्षेत्र में पिछले कुछ माह से खादी और खाकी की एक लुटेरी गैंग सक्रिय है। लुटेरी गैंग में शामिल गुर्गे भूखंड स्वामी का नंबर खोज मोबाइल घनघनाते हैं। खादी और खाकी की शह पर बदमाश भूखंड स्वामी को एसपी कार्यालय में शिकायत प्राप्त होने की बात कर अपना परिचय देते हैं। शिकायत के आधार पर अपने भूखंड के दस्तावेज और बयान के लिए चौकी और थाने पर बुलाने की धमकी देकर डराया जाता है। इसके अलावा बदमाश भूखंड पर निर्माण के दौरान उस समय पहुंचते हैं जब मौके पर मालिक मौजूद नहीं होता। निर्माण कार्य में जुटे मिस्त्री और मजदूरों को बदमाश नगर निगम का इंजीनियर बताकर दहशत फैलाकर रुपए ऐंठने का अवैध धंधा फल-फूला रहे हैं। ये अंदर की बात है कि इस गैंग में कुछ वर्दीधारियों के अलावा फूलछाप की युवा तरूणाई भी शामिल है। वंदेमातरम् न्यूज के पास पुख्ता साक्ष्य से स्पष्ट है कि इन दिनों खादी और खाकी गैंग में शामिल गुर्गे अपने आकाओं के दम पर वह सब कुछ कर रहे हैं जो कि गैरकानूनी है। पटरी पार क्षेत्र में फल-फूल रहे इस अवैध धंधे पर अंकुश की पहल कब होगी यह चर्चा आमजन में खास है।
चुनाव घड़ी में कार्यालय में उड़ रही मक्खियां
देश की कुर्सी को लेकर संसदीय क्षेत्र में मतदान को अब चंद दिन शेष हैं। फूलछाप पार्टी के नवनियुक्त जिले के मुखिया संसदीय चुनाव में सुबह से देर रात तक पूरजोर तरीके से बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं के अलावा मतदाताओं का मनोबल और उत्साह बढ़ाने में जुटे हैं, लेकिन हाथछाप के शहर मुखिया आमजनता तो दूर की बात वह कार्यकर्ताओं के बीच से ही नदारद हैं। हाथछाप पार्टी के किसी वरिष्ठ नेताजी के रतलाम आगमन के दौरान शहर मुखिया सफेद पोश में फोटो खिंचवाने और उसे छपवाने भर के लिए जरूर आतुर नजर आते हैं, लेकिन नेताजी के रूख्सत होते ही मुखिया की पोशाख उतर लूक बदल जाता है। चुनाव के अंतिम दौर में भी हाथछाप पार्टी कार्यालय में मक्खियां उड़ रही हैं। हाथछाप पार्टी में ग्रामीण क्षेत्र की कमान संभालने वाले जिला मुखिया ने फूलछाप का दामन थामने के पीछे भी चर्चा में शहर मुखिया की भूमिका खास गिनाई जा रही है। इन सब के बाद भी हाथछाप पार्टी के गलियारे में पूरजोर चर्चा है कि आखिर पार्टी शहर के मुखिया को क्यों ढो रही है। ये अंदर की बात है… कि हाथ छाप पार्टी भले ही शहर मुखिया पर भरोसा कर रही हो लेकिन मुखिया पद की आड़ में दिखावे की राजनीति में सिर्फ अपना व्यापार बढ़ाने में जुटे हैं।
ब्याजखोर हिस्ट्रीशीटर के सामने बेबस रही खाकी वर्दी
शहर में इन दिनों हत्या में शामिल एक ब्याजखोर हिस्ट्रीशीटर के किस्से आम से लेकर खास की जुबान पर है। तड़ीपार ब्याजखोर हिस्ट्रीशीटर को पुलिस द्वारा पकड़ना और उसे छोड़े जाने की कहानी लोग समझ पाते कि उसी हिस्ट्रीशीटर के दीनदयाल नगर क्षेत्र स्थित मकान पर दो थानों की पुलिस ने पहुंच दबिश देकर चौराहे-चौराहे पर चर्चा को जन्म दे दिया। महलनुमा आलीशान बंगले में शहर के दो थानों के टीआई अपनी कॉलर ऊंची करके घुसे ही थे कि चंद पलों में उल्टे पैर रवाना हो गए। एक हिस्ट्रीशीटर के लिए कुछ घंटों में ही दो बार पुलिस का बैकफुट पर जाना आमजनता को चौंका चुका है। चौराहे पर इसी को लेकर चर्चा का बाजार गरम है कि आखिर तड़ीपार ब्याजखोर हिस्ट्रीशीटर ने किसकी नस दबा रखी है, जिसके कारण पुलिस अपने जाल में फंसाकर उसे आजाद कर रही है। ये अंदर की बात है कि ब्याजखोर हिस्ट्रीशीटर के लिए भले ही राजनीति घराने से मोबाइल आया हो, लेकिन संबंधित को उक्त हिस्ट्रीशीटर की जन्मकुंडली बताने की कोशिश जिम्मेदारों ने बिल्कुल नहीं की। चौराहों पर चर्चा है कि न्याय के मंदिर से रोक के बाद भी तत्कालीन कप्तान ने जिस ब्याजखोर हिस्ट्रीशीटर का बंगला ढहाने के साथ सख्त कार्रवाई को अंजाम दिया था उसे ऐसे ही रतलामवासी सिंघम नहीं कहते हैं।