
– निगम आयुक्त भट्ट कुंभकर्णी नींद में, विरोध के बावजूद भ्रष्टाचारियों को दे रहे संरक्षण
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। नगर पालिक निगम रतलाम में एक बार फिर अफसरशाही सत्ताधारी भाजपा पर हावी है। निगम आयुक्त हिमांशु भट्ट ने भ्रष्ट अधिकारियों को कुछ इस तरह से सरंक्षण दे रखा है कि एक बार फिर टकराव के हालात बनते नजर आ रहे हैं। निगम परिषद् द्वारा पूर्व में पारित अविश्वास प्रस्ताव के बावजूद लोकायुक्त में दर्ज शासन की अमानत में ख़यानत करने वाला भ्रष्ट विकास सोलंकी को फिर से महत्वपूर्ण विभागों का प्रभार सौंप दिया गया है, जिससे निगम प्रशासन पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। भाजपा पार्षद दल सचेतक हितेश कामरेड ने निगम आयुक्त भट्ट के सरंक्षण में पल रहे भ्रष्टाचार को लेकर कलेक्टर राजेश बाथम सहित पार्टी प्रमुखों को बड़ी शिकायत की है। इधर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले आयुक्त भट्ट गंभीर मुद्दे पर जवाब देने से बचते रहे।
हैरानी की बात यह है कि 23 अप्रैल 2025 को भ्रष्टाचार में घिरे सोलंकी द्वारा सामाजिक सुरक्षा पेंशन शाखा के आदेश पर स्वयं को “उपायुक्त” के अधिकार से हस्ताक्षरित आदेश जारी कर दिया। आदेश की प्रति के अनुसार, उन्होंने उपायुक्त पद का उपयोग करते हुए विभागीय निर्णय जारी किया, जो नियमों के विरुद्ध माना जा रहा है। मामला भाजपा पार्षद दल सचेतक हितेश कामरेड ने संज्ञान में आने के बाद आयुक्त भट्ट से जब चर्चा की तो लापरवाही पूर्वक जवाब दिया कि गलती हो गई होगी। आयुक्त भट्ट के द्वारा भ्रष्ट अधिकारियों को सरंक्षण देकर सत्ताधारी भाजपा को बदनाम करने के पूर्व में आरोप भी लग चुके हैं, इसके बाद भी रतलाम में भ्रष्टाचार को सरंक्षण देने वालों का जिम्मेदारी का मनमाने और लापरवाही पूर्वक निर्वहन करना कई सवाल खड़े करता है। निगम आयुक्त भट्ट ने भ्रष्ट सोलंकी और स्वास्थ्य अधिकारी एपी सिंह को बचाने में एडी चोटी का जोर लगाने में जुट रहते हैं।
परिषद के निर्णय की आयुक्त उड़ा रहे खिल्ली
7 मार्च 2024 को आयोजित निगम सम्मेलन में भ्रष्ट सोलंकी की कार्यशैली के प्रति अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उन्हें लेखा विभाग को छोड़कर अन्य सभी विभागों से मुक्त कर दिया गया था। इसके बावजूद अब उन्हें सामाजिक सुरक्षा पेंशन विभाग एवं एनयूएलएम विभाग की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। इससे निगम परिषद् द्वारा लिये गये निर्णय की सीधी अवहेलना मानी जा रही है। इस प्रकरण को लेकर निगम प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यह लोकतंत्र में चुने गए प्रतिनिधियों की खुली अवहेलना है और इससे अफसरशाही को बढ़ावा मिल रहा है। करीब एक वर्ष बीत जाने के बाद भी निगम परिषद् के निर्णय को दरकिनार करना गंभीर प्रशासनिक लापरवाही की श्रेणी में आता है।भाजपा पार्षद दल सचेतक हितेश कामरेड ने मामले की गंभीरता पर कलेक्टर राजेश बाथम को भ्रष्ट विकास सोलंकी के अवैधानिक कार्य के विरुद्ध कठोरतम अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिए पत्र लिखा है।