– दोनों प्रत्याशी पहले की तरह आमने-सामने, फर्क सिर्फ पार्टी के झंडे बदलने का
विमांशु पाण्डेय
भोपाल, वंदेतमातरम् न्यूज।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव ( Mp Elections -2023 ) की उलटी गिनती के साथ ही रोचक मुकाबलों की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मंत्री राजवर्धन सिंह के सामने कांग्रेस ने भाजपा के बागी भंवर सिंह शेखावत को मैदान में उतारा है। बदनावर सीट पर मुकाबला इसलिए रोचक है कि वर्ष -2018 के चुनाव में भी दोनों प्रत्याशी आमने-सामने थे, लेकिन इस बार दोनों प्रत्याशी जिन पार्टी का विरोध करती थीं अब उनके झंडे तले चुनाव जीतने की दौड़ में शामिल हैं।

विधानसभा चुनाव 2018 के बाद कांग्रेस विधायकों के दल बदलने के बाद इस बार विधानसभा चुनाव में बड़ी ही दिलचस्प स्थिति देखने को मिल रही है। पहले जो प्रत्याशी कांग्रेस से मैदान में उतर रहे थे, अब वे भारतीय जनता पार्टी का दामन थामे हुए हैं, जबकि बीजेपी से लडऩे वाले नेता बागी बनकर कांग्रेस के प्रत्याशी बने हैं। बता दें कि धार जिले की बदनावर सीट से बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक और शिवराज सरकार में मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को मैदान में उतारा है। धार जिले की बदनावर विधानसभा सीट से दत्तीगांव और उनके परिवार के सदस्य पिछले कई वर्षों से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते आए हैं। साल 2020 में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मंत्री और भाजपा प्रत्याशी राजवर्धन सिंह दत्तीगांव भारतीय जनता पार्टी में चले गए थे।
बदनावर सीट पर सभी की नजर
बदनावर विधानसभा सीट पर इस बार राजनीतिक पार्टियों के अलावा मतदाताओं की नजरें टिकी हुई हैं। इस बार यहां से कांग्रेस ने भंवर सिंह शेखावत को टिकट दिया है। भाजपा बागी भंवर सिंह शेखावत पूर्व विधायक हैं और भारतीय जनता पार्टी से चुनाव लड़ चुके हैं। उन्होंने राजवर्धन सिंह को विधानसभा चुनाव में पराजित किया था। इस बार भी दोनों प्रत्याशी आमने-सामने है। फिलहाल दिलचस्प बात यह है कि, इस बार दोनों प्रत्याशियों के चुनाव चिन्ह बदल गए हैं। वहीं बदनावर सीट पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के प्रत्याशी के मैदान में उतरने के बाद अब कांटे का मुकाबला हो गया है. जहां एक तरफ राजवर्धन सिंह पूर्व में विधायक भी रह चुके हैं और वर्तमान में मंत्री भी हैं। इसी तरह भंवर सिंह शेखावत भी इसी सीट से पूर्व में विधायक रह चुके हैं। दोनों ही नेताओं का लंबा राजनीतिक अनुभव है और दोनों की क्षेत्र में बेहतर पकड़ भी है।