असीम राज पांडेय्, केके शर्मा रतलाम। जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर की 75 वर्ष पुरानी तहसील को काफी समय से जिला बनाने की मांग की जा रही है और रतलाम को संभाग। ऐसे में पड़ोसी शहर को जिला बनाने की अधिसूचना जारी हो गई। प्रदेश मुखिया की घोषणा के बाद जिलेवासियों को एक बार फिर सफेद कुर्तों की कथनी और करनी में अंतर देखने को मिला। जिले के हाथछाप पार्टी के एक उत्साही माननीय ने पड़ोसी सीमा के विधायक के साथ पहले नागदा को जिला बनाने की सहमति उज्जैन पहुंच पत्र सौंप दी। दूसरे दिन क्षेत्र के हाथछाप पार्टी के माननीय को घेरकर खूब खरी-खोटी सुनाई तो माननीय ने पलटीमार दी। ये अंदर की बात है कि हाथछाप पार्टी के माननीय का उत्साह इसलिए कम हुआ क्योंकि विधानसभा चुनाव नजदीक जो है। माननीय ने यह सोच पलटी मारी, कहीं इस बार जनता पलटी न मार दे।
एफआईआर की उम्मीद में पिता मायूस होकर लौटा
जख्म छोटा और ईलाज में लापरवाही हो तो वह नासूर बन जाता है। देशभक्ति और जनसेवा की शपथ लेकर थानों में तारे लगे वर्दी की हालत भी ऐसी है। अपराध से पहले ही थानों में दलाल सक्रिय हो जाते हैं। गंभीर वाक्या जिले के मुख्य थाने का है। यहां एक पिता अपनी बेटी को जाल में फंसने के बाद ब्लैकमेलिंग की दरख्वाहस्त लेकर पहुंचा। सायबर ने कर्तव्यनिष्ठा से आरोपी को ट्रेस भी किया। एफआईआर के लिए जब पीड़ित पिता ने थाने में कहानी सुनाई तो दो तारों के नवागत साहब न्यायाधीश बन गए। आरोपी के परिजनों के साथ पहुंचे दलालों ने दो तारों के साहब को ऐसी घुट्टी पिलाई की उन्होंने फैसला सुनाया कि मामला नहीं बनता। पीड़ित पिता को अब नवागत कप्तान का इंतजार है। देखना यह है कि नवागत कप्तान पीड़ित पिता की दर्दभरी दास्तां पर क्या एक्शन लेते हैं।
जनता के साथ अब नेताजी भी परेशान
अवैध कालोनियों को वैध करने की घोषणा शासन ने कर भले ही सुर्खियां बंटोरी हो, लेकिन यह आगामी चुनाव के लिए गले की ही हड्डी बन चुकी है। अवैध कॉलोनियों में जनता के वोटों को हासिल करने के लिए विकास कार्य कराना प्रमुखता बनी हुई है। वर्तमान में शासन की माली हालत ठीक नहीं है। अवैध कॉलोनियों में विकास के कार्य कैसे हो उस पर सिर्फ चुनावी मल्हम लगाने के लिए नगर निगम व जनप्रतिनिधियों द्वारा मंथन शुरू हो चुका है। अवैध कॉलोनाइजर के खिलाफ कार्रवाई रतलाम और जावरा में भी असमान हुई है। ऐसे में अब जावरा के कॉलोनाइजर सवाल कर रहे हैं कि रतलाम में किसी भी भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है तो हमारे जावरा में ही क्यों ?