जय जगन्नाथ : 1 जुलाई को थावरिया बाज़ार से निकलेगी रथयात्रा, एसपी अभिषेक तिवारी ने देखा यात्रामार्ग

रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
विश्वभर में जगन्नाथ यात्रा को लेकर एक विशेष उत्साह रहता है। इस बार रथयात्रा का पर्व 1 जुलाई (शुक्रवार) को मनाया जाएगा। रथयात्रा का विशेष महत्व उड़ीसा के पूरी में है। जहां से यह परंपरा निर्बाध चलती आ रही है।
रतलाम के थावरिया बाज़ार में भगवान जगन्नाथ का प्राचीन मंदिर है। जो कि स्थापत्यकला का एक अनूठा उदाहरण हैं। 350 साल पुराना यह मंदिर खजुराहो और उड़ीसा शैली की शिल्प कल्पना का नायाब उदाहरण है। मंदिर पत्थर और ईंटों से बना हुआ है। शहर का सबसे पुराना मंदिर होने से इस दिन दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। रथयात्रा की सम्पूर्ण तैयारी कर ली गई है। इसके लिए यात्रा समिति ने विशेष आयोजन भी किये है। गुरुवार दोपहर में एसपी अभिषेक तिवारी ने यात्रा मार्ग का जायजा लिया। यात्रामार्ग में बेहतर व्यवस्था करने के जरूरी निर्देश सीएसपी हेमन्त चौहान को दिए।
समिति के गोपाल शर्मा ने बताया कि शुक्रवार को सुबह 9 बजे भगवान जगन्नाथ का अभिषेक पूजन कर आकर्षक श्रृंगार किया जाएगा। जिसके बाद आरती होगी। दोपहर 2 बजे भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा व भाई बलराम की काष्ठ से निर्मित प्रतिमाओं को रथ में विराजमान किया जाएगा। रथयात्रा शहर के पैलेस रोड़, धानमंडी, चांदनी चौक आदि प्रमुख स्थानों से भृमण करते हुए वापस थावरिया बाजार पहुंचेगी। यहां पर भगवान की आरती करने के पश्चात केसरिया भात की प्रसादी का वितरण किया जाएगा।

विशेष आकर्षण है प्रतिमाओं में
थावरिया बाज़ार का यह मंदिर उड़ीसा के भगवान जगन्नाथ के मंदिर की तरह ही बना है। यह मंदिर भी जमीन से काफी ऊपर है और लंबी सीढ़ियों से चढ़कर भगवान के दर्शन होते हैं। यहां भी पूरे विधि-विधान और आस्था-श्रद्धा के साथ रस्सियों से खींचते हुए रथ यात्रा निकाली जाती है। पिछले 3 साल से कोरोना के कारण रतलाम स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर से रथ यात्रा भव्य रूप में नहीं निकाली जा सकी थी। इस बार समिति के सदस्यों ने भगवान जगन्‍नाथ रथ यात्रा की पूरी तैयारी की है और 3 साल बाद भगवान जगन्नाथ की भव्य विशाल रथ यात्रा शहर में निकाली जाएगी। यह मंदिर इतना पुराना है कि इसे किसने निर्माण करवाया, इसकी जानकारी तो नहीं है लेकिन मंदिर में स्थित काले पत्‍थर की प्राचीन, अद्भुत और दुर्लभ प्रतिमा से अंदाज़ा लगाया जाता है कि यह करीब 350 साल पुराना मंदिर है। इन प्रतिमाओं में एक विशेष आकर्षण हैं जो कि दर्शन कर्म आने वाले श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देता है। बताया जाता है क‍ि मंदिर में स्थित भगवान जगनाथ की प्रतिमा जिस दुर्लभ पत्‍थर से बनी है, उसमें सोने की पहचान करने की शक्ति है। मन्दिर में भगवान जगन्नाथ के दोनों ओर बलराम और सुभद्रा की प्राचीन प्रतिमाएं हैं।

बायीं ओर बहन सुभद्रा, मध्य में भगवान श्री जगन्नाथ व दायीं ओर भाई बलभद्र

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