असीम राज पांडेय
रतलाम। फूलछाप पार्टी में लंबी अटकलों के बाद जिले की कमान नए चेहरे को सौंपी गई है। पूर्व में जिले की कमान संभालने वाले मुखिया की कार्यप्रणाली से कार्यकर्ताओं के साथ संगठन में जमकर नाराजी थी। विधानसभा चुनाव-2023 के परिणाम के बाद भोपाल में प्रदेश संगठन मंत्री की क्लास के बाद साफ हो गया था कि पार्टी जिले में नए चेहरे की घोषणा कभी भी कर सकती है। इसी बीच गणतंत्र दिवस की संध्या पर पार्टी ने आमजनता के बीच के एक चर्चित नाम पर मुहर लगाकर अंतिम घोषणा की। इससे युवा कार्यकर्ताओं में उत्साह के साथ नया जोश प्रथम नगर आगमन के पूर्व तैयारियों में देखने को भी मिला। ये अंदर की बात है कि फूलछाप पार्टी के नए जिला मुखिया का प्रथम आगमन का जैसे ही शंखनांद हुआ, वैसे ही पूर्व जिला मुखिया दौड़े-दौड़े कार्यालय पहुंचे। यहां पर उन्होंने कुर्सी पर रखा सफेद टॉवेल समेटने के साथ दीवार पर लटकी फोटो उतरवाई। यह फोटो पूर्व जिला मुखिया की उस नेता के साथ की थी, जिसके बल पर वह पिछले साढ़े तीन वर्ष से कुर्सी पर बैठे थे।
लापरवाही पर लग गई सरकारी “मुहर“
जिला मुख्यालय के मुख्य पुलिस स्टेशन से टीआई की जीप लेकर आधी रात को बदमाशों की सड़को पर रंगदारी दिखाने का मामला सुर्खियां बंटोर रहा है। लापरवाही की इन सुर्खियों पर सरकारी मुहर तब लगी, जब महकमें की जांच सामने आई। आमजनता से शिकायत के दौरान तहजीब नहीं रखने वाले इस थाने के कर्मचारियों ने बदमाशों को वाहन नहीं ले जाने से रोकने की हिम्मत तक नहीं जुटाई। संभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने जब अधीनस्थ को जांच सौंपी तो जिला मुख्यालय के अधिकारी हरकत में आए। प्रथम दृष्टया थाने के एक दो तारों के साहब, फीती वाले और दो आरक्षकों पर निलंबन की गाज गिरी। फिर भी मीडिया में मामला शांत होता नजर नहीं देख चारों दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एक-एक वेतनवृद्धि रोकने के आदेश जारी हुए। ये अंदर की बात है कि लापरवाही का ऐसा माजरा चर्चा का विषय इसलिए बना क्योंकि जिसमें दूसरों की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी है वह खुद असुरक्षा के कटघरे में खड़े नजर आए।
हाथछाप ने नहीं लिया “हार” का सबक
विधानसभा चुनाव 2023 के परिणाम को बीते डेढ़ माह गुजर चुका है। तमाम दावों और घोषणाओं के बावजूद हाथछाप पार्टी करारी हार से सबक नहीं सीख पाई। हालत ऐसी रही कि हाथछाप पार्टी आपसी गुटबाजी के चलते गढ़ मानी जाने वाली सैलाना विधानसभा सीट को भी खो चुकी है। लोकसभा घमासान के लिए फूलछाप पार्टी ने अलग-अलग चरणों में तैयारी विधानसभा परिणाम के बाद शुरू कर दी है। राजनीति के विद्वानों की मानें तो रतलाम जिले की तीन विधासभा का लोकसभा में हस्तक्षेप बराबर का रहता है। ये अंदर की बात है कि रतलाम शहर में विधानसभा परिणाम से हाथछाप की काफी दुर्गती हुई है। जिले की पांचों विधानसभा में रतलाम शहर में हाथछाप पार्टी को फूलछाप से हाथ मिलाने के कारण करारी हार देखना पड़ी है। चौराहों पर चर्चा है कि रतलाम मुख्यालय पर हाथछाप पार्टी सिर्फ नाम की बची है, इसके अंदर जिम्मेदारों की नाकामी और स्वार्थ की राजनीति से पूरी बेजान हो चुकी है।