Janmashtami : ये है MP में रतलाम का द्वारिका, भगवान के ऐसे चमत्कार जो हैं 300 वर्ष बाद भी खास, पढ़े खास रिपोर्ट…

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– कान्हा की रही धूम, रातभर टोलियों ने फोड़ी मटकी, देवालयों में गूंजी आलकी के पालकी जय कन्हैयालाल की…

रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
रतलाम में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम और उल्लास से मनाई गई। जन्मोत्सव को लेकर देवालयों में भजन-कीर्तन के साथ कान्हा के जयकारे गूंजे, वहीं चौराहों पर मटकी फोड़ने के लिए टोलियां जुटी रही। ऐसे में श्री कृष्ण जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में वंदेमातरम् NEWS  आपको रतलाम के ऐसे कृष्ण मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर समय-समय पर चमत्कार होता रहता है। आइए जानते हैं भगवान श्री द्वारिकाधीश ( Dwarkadhish Mandir Ratlam ) के इस मंदिर में समय-समय पर होने वाले चमत्कार और इतिहास के बारे में।

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रतलाम के सभी कृष्ण मंदिरो में जन्मोत्सव को लेकर भक्ति और उत्साह छाया रहा। रतलाम के बड़े गोपाल जी के मंदिर में जन्माष्टमी को लेकर फूलों और विद्युत की रोशनी से आकर्षक सजाया गया। वहीं रतलाम में कृष्ण जी का एक ऐसा मंदिर है, जिस मंदिर में भगवान द्वारिकाधीश ( Dwarkadhish Mandir Ratlam ) से श्रापित परिवार 6 पीढ़ी से भगवान कृष्ण की सेवा कर रहा है। श्रापित परिवार गोद लेकर वंश को आगे बढ़ा रही है।
300 साल पुराना है प्राचीन मंदिर
रतलाम के मध्य सराफा बाजार में भगवान द्वारकाधीश ( Dwarkadhish Mandir Ratlam ) का प्राचीन मंदिर स्थित है। जहां 300 साल पुराने इस मंदिर की स्थापना पालीवाल समाज के एक परिवार ने की थी और यही परिवार आज तक प्राचीन भगवान द्वारिकाधीश मंदिर में सेवा करता आ रहा है। इसलिए प्राचीन होते हुए भी यह मंदिर निजी है इस मंदिर के पीछे कई कहानियां भी वर्तमान में आम प्रचलित है।

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काशीराम पाल ने की थी मंदिर की स्थापना
मंदिर की सालों से सेवा करता आ रहा पालीवाल परिवार की 6वीं पीढ़ी के लोग मंदिर को लेकर बताते है कि इस मंदिर की स्थापना 300 साल पहले काशिराम पालिवाल ने की थी। भगवान द्वारकाधिश ( Dwarkadhish Mandir Ratlam ) की यह प्रतिमा हाथी लेकर घूमने वाले साधुओं से लेकर मंदिर में स्थापित की गई थी। द्वारकाधीश ( Dwarkadhish Mandir Ratlam ) की प्रतिमा रोज रात में मंदिर से गायब हो जाती और उन्हीं साधुओं के पास चली जाती थी। ऐसा चार-पांच बार हुआ तो काशीराम पालीवाल ने भगवान की प्रतिमा को साधुओं सन्तों से अभिमंत्रित करवाया और मंत्रोच्चार के साथ भगवान द्वारकाधीश ( Dwarkadhish Mandir Ratlam ) के पैरों के पास एक कील ठोकी गई थी।

भगवान द्वारिकाधीश ने दिया था श्राप
इसके बाद प्रतिमा रात में मंदिर से जाना बंद हो गयी। लेकिन भगवान द्वारकाधीश ( Dwarkadhish Mandir Ratlam ) ने काशीराम पालिवाल को श्राप दे दिया, कि उनकी 6 पीढ़ी निसंतान होगी और तभी से काशीराम पालीवाल की लगातार 6 वीं पीढ़ीयां निसंतान रही और वे गोद लेकर वंश को बढ़ाते रहें। अब इस परिवार में संतान जन्म हुआ है, श्राप के बावजूद इस परिवार में लगातार वर्षों से द्वारकाधीश ( Dwarkadhish Mandir Ratlam ) मन्दिर की सेवा की है।

भगवान ने दुकान पर जाकर खाई थी मिठाई
मंदिर की सेवा करने वाले बताते हैं कि एक समय पुजारी ने रात को मीठे का भोग नहीं लगाया तो भगवान द्वारिकाधीश ( Dwarkadhish Mandir Ratlam ) ने काशीराम पालीवाल का रूप लेकर शहर के कनीराम सेठ की दुकान पर जाकर कड़े गिरवे रखकर मिठाई खाई फिर सेठ को स्वप्न भी दिया, पुजारी ने गहने छुड़वाएं व क्षमा मांगी। मिठाई दुकान के मालिक कनीराम सेठ जब तक जिंदा रहे, नियमित भगवान को 250 ग्राम पेड़ा का भोग लगाते रहे।
द्वारिका जैसी है मंदिर की बनावट
मंदिर में लोगो की भी खूब आस्था है और जन्माष्टमी पर मंदिर में श्रद्धालुओ का तांता लगता है, दिनभर भजन कीर्तन होते हैं और देर रात कृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन होता है। श्रद्धालु बताते है मंदिर की कहानियां बहुत हैं। वहीं यह मंदिर द्वारिका में बने मंदिर की तरह दिखने जैसा है। जैसे द्वारका में मंदिर बना है 7 दरवाजों के बाद भगवान का सिंहासन है उसी तरह रतलाम का यह ( Dwarkadhish Mandir Ratlam ) मंदिर भी है।

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