असीम राज पांडेय, केके शर्मा
रतलाम।
आम जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाले विभाग में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। न तो वारदातें थम रही न ही पुराने मामलों को सुलझाने की कोशिश। जिले में इस तरह की मनमानी के बीच तीन तारों के एक नए-नवेले साहब अपने पांच गुना रेट से महकमें में छाए हुए हैं। नए साहब के रेट सुनकर थाना और चौकी प्रभारियों की नींद उड़ी हुई है। अधीनस्थों से महीना मांगना और मन मुताबिक भेंट नही चढ़ने पर परेशान करना जल्द किसी बड़ी घटना की तरफ इशारा कर रही है। महकमें में चर्चा है कि तीन तारों के साहब अपने लिफाफे को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं। ये अंदर की बात है कि पहली बार अधीनस्थों से रुपए वसूलने वाले तीन तारों के साहब में यह हिम्मत जिम्मेदारों की नाकामी से उपजी है। इधर साहब को पांच गुना भेंट चढ़ाने के लिए वह सब अब खुलकर हो रहा है, जिसे करने में पहले बदनामी की हिचक होती थी।
परिणाम के बाद ठीकरा फोड़ने का दौर शुरू
रतलाम जिले में चार विधानसभा में फूल खिला और एक जगह करारी मात से सभी को सोचने के लिए मजबूर किया कि आखिर ऐसा क्यों हुआ ? फूलछाप पार्टी में समीक्षा कर वरिष्ठ सवाल-जवाब करते, उसके पहले ही आलामौका से चर्चा में ठीकरा दूसरे के सिर फोड़ दिया। कहां कि अगर वो मैदान में नहीं होता तो हम चुनाव जीत जाते। यह बात तो जगजाहिर है कि व्यवहार उनका कितना है। अब उन्हें आखिर कौन समझाए कि चुनाव में हार – जीत व्यवहार से ही होती है। अगर व्यवहार अच्छा होता तो मोदी लहर के बावजूद उम्मीदवार दौड़ में तीसरे नंबर पर नहीं होता। हार के बाद ठीकरा फोड़ भले ही खुद को निर्दोष साबित करने की राजनीति शुरू हो गई हो लेकिन फूलछाप के सूत्र बताते हैं कि उच्चस्तरीय समीक्षा में हार के कारण से ज्यादा टिकट दिलाने वालों की क्लास ली जाएगी कि आखिर तीसरे नंबर की स्थिति क्यों आई?
बड़े साहेबान नहीं निकले बाहर
विधानसभा चुनाव 2023 की मतगणना में अव्यवस्थाओं का आलम रहा। चुनावी कमान संभालने वाले अधिकारियों में भी समन्वय की कमी दिखी। प्रशासन व पुलिस के बड़े साहेबान अपने छोटे साहेबानो के भरोसे बैठे रहे। अपराध रोकने में नाकाम खाकी वर्दी धारी के लोग खबरचियों पर मतगणना स्थल में जाने से रोक लगाने में लगे रहे। खबरचियों ने खाकीधारियों से लेकर प्रशासन के आला साहेबनो को अपनी ताकत दिखाई। इधर दोनों विभाग के मुख्य साहेबान मतगणना स्थल पर एक कक्ष तक सीमित रहे। जबकि पूर्व में जो भी साहेबान रहे है लगातार निरीक्षण करते रहे। ऐसे में मतगणना स्थल पर इस बात की चर्चा भी खूब रही। यहां तक जब मुर्दाबाद के नारे लगे तब भी खबरचियों के सामने आने की हिम्मत जिम्मेदार नहीं कर पाए।