रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
आमतौर पर बैंड बाजों के साथ घोड़ी पर दूल्हे को बैठकर दुल्हन के घर बरात लेकर जाते हुए आप लोगों ने देखा होगा। लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम में एक दुल्हन खुद घोड़ी पर सवार होकर बैंड बाजो के साथ नाचते हुए दूल्हे के घर पहुंच गई। दुल्हन के साथ उसके परिवार और रिश्तेदार भी थे। जो बैंड बाजो की धुन पर नाचते हुए चल रहे थे।
रतलाम में यह दुल्हन के घोड़ी पर बैठकर दूल्हे के घर जाने की यह शादी श्रीमाली ब्राह्मण समाज के व्यास परिवार में हुई। श्रीमाली समाज मे एक अनूठी परम्परा है। दुल्हन शादी के एक दिन पहले दूल्हे के घर घोड़ी पर बैठकर बैंड बाजो के साथ अपने पूरे परिवार और रिश्तेदारों के साथ पहुंचती है और दूल्हे को शादी के लिए आमंत्रित करती है। और वह घोड़ी जिस पर बैठकर दुल्हन पहुंचती है वह घोड़ी दूल्हे के घर ही छोड़ती है। इसी घोड़ी पर बैठकर दूल्हा दुल्हन से शादी करने के लिए बरात लेकर उसके घर पहुंचता है। रतलाम के श्रीमाली वास निवासी आयुषी (एमबीए) की शादी 7 दिसम्बर को है। वह अपने समाज की लुप्त हो रही इस परंपरा को पुनः जीवित करने के उद्देश्य को लेकर सजधज कर घोड़ी पर बैठी ओर बैंड बाजो के साथ परिवार जनों को लेकर नाचते हुए दूल्हे के यहां पहुची। चल समारोह में जब बैंड बाजो की धुन बज रही थी तो घोड़ी पर बैठी दुल्हनिया से भी नही रहा गया।दुल्हनिया घोड़ी पर बैठी हुई ही नाचने लगी। दूल्हे के घर पहुंचने पर दूल्हे के परिवार वालों ने दुल्हन का स्वागत किया और आशीर्वाद स्वरूप कपड़े गहने आदि प्रदान किए।
दुल्हन आयुषी व्यास ने बताया कि यह हमारे श्रीमाली ब्राह्मण समाज की परंपरा है। दुल्हन जिस घोड़ी पर जाती है उसी घोड़ी पर बैठकर दूल्हा बरात लेकर आता है। दुल्हन के चाचा धर्मेंद्र व्यास में बताया कि अनादि काल से यह परंपरा चली आ रही है। भगवान श्री कृष्णा रुकमणी को घोड़ी के ऊपर ले कर आए थे उसी परंपरा को हमारे पूर्वज निभाते आ रहे थे। लेकिन धीरे-धीरे पश्चिम संस्कृति की और बढ़ते जा रहे हैं और अपने संस्कार भूलते जा रहे हैं। उसी को ध्यान में रखकर इस परंपरा को जीवित करने के लिए हमने श्रीमाली ब्राह्मण समाज की इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए यह एक पहल की है। बिटिया ने भी हमें इसके लिए सहमति दी और इस परंपरा को ब्राह्मण समाज आगे भी निभाए।